हल्की रुई के रेशे हैं, ये हवा से भी हल्के हैं ना ठोर ना ठिकाना ना उड़ने के सलीके हैं. हल्की रुई के रेशे हैं, ये हवा से भी हल्के हैं ना ठोर ना ठिकाना ना उड़ने के सल...
खग जग हो या जंगल भारी सब संभव जब संंग ईक नारी।। खग जग हो या जंगल भारी सब संभव जब संंग ईक नारी।।